मास को-ऑपरेशन एनजीओ के द्वारा चलाया जा रहा शिक्षा अभियान के तहत मलिन बस्तियों में 300 लोगों को शिक्षित किया गया जिसके लिए विजयनगर क्षेत्र के वीर अब्दुल हमीद कॉलोनी में संस्था का एक सेंटर नियमित तौर पर खुला हुआ है जहां पर जो व्यक्ति शिक्षा हासिल करने का खर्चा नहीं उठा सकते उनको यहां पर शिक्षित किया जाता है। शिक्षा के विषय पर बात करते हुए मास को-ऑपरेशन एनजीओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष तौसीफ हाशमी ने बताया कि शिक्षा सबसे पुराना विषय है जब से मानव ने इस ग्रह पर कदम रखा है, तब से वह अपने आपको, दुनिया को समझने के लिए शिक्षा प्राप्त कर रहा है। इस शिक्षा के बलबूते ही वह आने वाली समस्याओं का शारीरिक, मानसिक और भावात्मक स्तर पर मुकाबला कर रहा है। वास्तव में जीवन की उत्पत्ति और मानव की शिक्षा का गहरा सम्बन्ध है, दोनों का विकास साथ-साथ ही हुआ है। हालांकि समय के साथ-साथ शिक्षा का मानक और मापदंड जरूर बदला है लेकिन उद्देश्य आज भी वही है।


पवित्र कुरान, वेदों, उपनिषदों, महाकाव्यों आदि, में भी शिक्षा के महत्व को स्वीकारा गया है। डॉ आंबेडकर, विवेकानन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर, अरविन्द घोष आदि महान दार्शनिकों तक का मानना रहा है कि शिक्षा एक बच्चे की सोच में व्यापक बदलाव लाकर उसकी समझ के दायरे को बढ़ाती है, जिसके बलबूते वह मानव जाति और समाज सेवा की सेवा में अपना योगदान दे सकता है।
शिक्षा की यह अवधारणा प्रत्येक देश में किसी न किसी समय अवश्य महसूस की गई है। सन 1966 में गठित भारतीय शिक्षा आयोग का भी कहना था कि शिक्षा जीवन की आशा है, शिक्षा व्यक्ति को सत्य और नैतिकता के मार्ग पर चलने का प्रशिक्षण देती है।
श्री हाशमी ने कहा कि आज मलिन बस्तियों की लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या निरक्षर है। आज जबकि शिक्षा सबके लिए आवश्यकता बनकर उभरी है। लिंग भेद, मंहगी शिक्षा और समाज के एक तबके ने विश्व की आधी जनसंख्या को विद्यालय से दूर रखा है। शिक्षा तक सबकी पहुँच न सिर्फ स्त्री-पुरुष बल्कि शहरी, ग्रामीण और अमीर-गरीब, सभी तबके के लागों में समान रूप से होनी चाहिए। क्योंकि शिक्षा ही वह प्रकाश है जो जीवन के समस्त अंधकार को दूर करके बालक में पवित्र संस्कारों, भावनाओं, निश्चित दृष्टिकोण और भावी विचार को जन्म देता है। इसीलिए संस्था मलिन बस्तियों में बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक कर इस अभियान को 2011 से चला रही है और शिक्षित कर रहे हैं।